Friday 27 April 2018

Avengers infinity war release in india

How's the new movie avengers infinity war :

कई फिल्मों को देखने का मजा, हॉल में बैठे दर्शकों के मूड पर भी निर्भर करता है। ‘एवेंजर्स: इनफिनिटी वॉर’ भी एक ऐसी ही फिल्म है। एक बार इसे देखने तो जाइए, परदे के दोनों ओर किरदारों की फौज न नजर आएं तो कहियेगा। डॉक्टर स्ट्रेन्ज की एंट्री पर जितनी तालियां बजती हैं, उससे दोगुनी तालियां ब्लैक पैंथर की एंट्री पर उनके फैंस बजाते हैं, मानों दोनों गुटों में कोई होड़ चल रही हो। आप जितना फिल्म का लुत्फ उठा रहे होते हैं, उतना ही इस माहौल का।
 हां, तो दोस्तों, खूब जमता है रंग, जब मिल बैठते हैं आयरनमैन, स्पाइडरमैन, हल्क और उनके बाकी एवेंजर भाई-बंधु... पर ऐसा तो तभी होता है, जब विलेन इतना दमदार हो कि उसे ठिकाने लगाने के लिए किसी एक सुपरहीरो की शक्ति काफी न हो। इस बार यह विलेन सामने आया है थैनोस (जॉश ब्रॉलिन) के रूप में। इतने सारे सुपरहीरोज को एकसाथ परदे पर देखना हमारे लिए भले ही करिश्माई हो, निर्देशन के नजरिये से यह यकीनन चुनौती भरा रहा होगा। किसी सुपरहीरो के साथ नाइंसाफी न हो पाए, हर किसी की मौजूदगी लंबी भले न हो, पर इतनी जरूर हो कि वह बेवजह न लगे। निर्देशक जोड़ी एंथोनी रूसो और जो रूसो ने यह काम बखूबी किया है।


फिल्म शुरू होती है थॉर, लोकी और हल्क की, विलेन थैनोस के साथ एक जोरदार भिडं़त के साथ। जब ये तीनों महारथी मिल कर भी थैनोस को हरा नहीं पाते हैं, तभी यह जाहिर हो जाता है कि इतने सारे सुपरहीरोज की फौज इकट्ठा करने की नौबत क्यों आई। थैनोस का मकसद है कुछ विशेष चमत्कारिक रत्नों को इकट्ठा करना, ताकि उसकी शक्ति में इजाफा हो सके। वह ब्रह्माण्ड में संतुलन लाने के लिए आधे प्राणियों का खात्मा कर देना चाहता है। इन्हीं रत्नों की तलाश में वह एक-एक कर उन सभी एवेंजर्स से भिड़ता 
जिनके पास ये रत्न हैं।
कहानी में फिल्म ‘गार्डियंस ऑफ गैलेक्सी-2’ के किरदार स्टारलॉर्ड (क्रिस प्रैट), रॉकेट (ब्रैड्ले कूपर), गैमोरा (जो सैल्डाना), ग्रूट (विन डीजल), मैंटिस (पॉम क्लेमेंटिफ), नेब्यूला (कैरन गिलन) और ड्रैक्स (डेव बॉटिस्टा) भी हैं।
फिल्म में एक्शन के अलावा कॉमेडी और भावनाओं का भी अच्छा संतुलन बनाया गया है। हिंदी में डब संस्करण के कई संवाद बेहद मजेदार हैं। एक दृश्य में जब गार्डियंस ऑफ गैलेक्सी-2 के किरदारों की स्पेसशिप के सामने वाले शीशे पर अंतरिक्ष में तैरता हुआ एक शरीर आकर गिरता है, तो रॉकेट तुरंत चिल्लाता है,‘ए, वाइपर मार जल्दी!’ अगर भावनात्मक पक्ष की बात करें, तो डॉक्टर स्ट्रेंज-आयरन मैन के बीच के संवाद, उनका पहले विरोधाभासी और फिर एकमत होना, चौंकाता है। इसी तरह यह रहस्योद्घाटन कि गैमोरा दरअसल थैनोस की बेटी है और फिर उनके बीच के घटनाक्रम भी प्रभावित करते हैं।
फिल्म दर्शकों के मन में हजारों सवाल खड़े करते हुए खत्म हो जाती है और पता लगता है कि इसके आगे की कहानी अगले साल देखने को मिलेगी, यानी, इस शृंखला की अगली फिल्म में। कुछ किरदारों को कम समय के लिए दिखाया गया, कुछ को ज्यादा समय के लिए, इससे किसी को शिकायत नहीं होनी चाहिए। ढाई घंटे में इतने किरदार दिखाना आसान नहीं था। आखिर सबसे बड़ा किरदार तो कहानी ही है। एक्टिंग के लिहाज से सभी का काम अच्छा रहा, खास तौर पर रॉबर्ट डाउनी (आयरन मैन), क्रिस हैम्सवर्थ (थॉर), मार्क रफैलो (हल्क), जो सैल्डाना (गैमोरा) और जॉश ब्रॉलिन (थैनोस) का। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट काफी प्रभावी हैं और साथ ही इसका पाश्र्व संगीत भी। थ्री डी इफेक्ट के साथ फिल्म बेहद जबर्दस्त लगती है।

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